मटका ,असल में जुए का एक रूप है , जो आजादी के पहले से भारत में जारी है | मुंबई को मटका का मदरशा कहा जाता है | यह काफी समय से मुंबई में खेला जा रहा था पर ध्रीरे ध्रीरे ये मध्य प्रदेश,गोवा ,गुजरात में भी खेला जाने लगा | पहले मुंबई में कुछ मार्किट थी जहा ये बाजार चलता था उनमे वर्ली बाजार,कल्याण बाजार,स्टार बाजार,कीर्ति बाजार,नई वर्ली बाजार,जनता बाजार,गुजरात बाजार,आदि जगहों पर लोग मटका खलते थे |
मटका लोगो को रातो रात करोड़पति बना देता था और कोई लोगो को रोडपति भी |
कहा जाता है की मटका आजादी से एक साल पहले एक आदमी कराची से मुंबई आया नाम था रतन हीरा नन्द खत्रि ,और उसने देखा लोग कपडे के रेट पर बोली लगा रहे है क्योकि उस समय लंदन स्टॉक एक्सहकांगे से कपडे का दाम ट्रांसितेर से आता था और लोग इस पर बोली लगते थे |
मटका लोगो को रातो रात करोड़पति बना देता था और कोई लोगो को रोडपति भी |
कहा जाता है की मटका आजादी से एक साल पहले एक आदमी कराची से मुंबई आया नाम था रतन हीरा नन्द खत्रि ,और उसने देखा लोग कपडे के रेट पर बोली लगा रहे है क्योकि उस समय लंदन स्टॉक एक्सहकांगे से कपडे का दाम ट्रांसितेर से आता था और लोग इस पर बोली लगते थे |
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